शनिवार, जुलाई 08, 2017

अनेकता में एकता टाईप...एक देश एक टैक्स जी एस टी

जूते पर १८ प्रतिशत जीएसटी..मगर जूते अगर ५०० रुपये से कम के हैं तो ५ प्रतिशत जीएसटी..इसका क्या अर्थ निकाला जाये?
५०० से कम का जूता पैरों में पहनने के लिए हैं इसलिए कम टैक्स और महँगा जूता शिरोधार्य...इसलिए अधिक टैक्स? 
एक देश एक टैक्स के जुमले की बरसात में एक वस्तु अनेक टैक्स टिका गये और लोग जान ही न पाये..
एक देश एक टैक्स का छाता और उसमें से बरसात की बूँदों की तरह बाजू बाजू से सरकती अनेकों टैक्स स्लैबों की बूँदें..आम जन समझ ही नहीं पा रहा है कि ये कैसा एक टैक्स है? अनेकता में एकता टाईप...
आमजन को सरल भाषा में समझाने के लिए कुछ यूं समझाना होगा कि जैसे सरकार का कहना है कि अब तक का पूरा विकास इस बरस की भारी बरसात के कहर के चलते बरसात के बट्टे खाते में चला गया है....
लेकिन सर किसान तो वैसे ही सूखे की मार से मर रहा है और आप कह रहे हैं कि बरसात का कहर हुआ है...पत्रकार पूछ रहा है..
सरकार कह रही है कि देखिये सूखा दीगर मामला है. उसे विपक्षियों नें राजनेतिक रंग दे दिया है. सूखा गरमीसे पड़ता है और बरसात बारिश से होती है..ये दोनों विपरीत मामले हैं..अतः पहले आपको यह तय करना होगा कि आप सूखे पर बात करना चाहते हैं या बरसात पर. दोनों अलग अलग मुद्दे हैं. आप हर बार पाकिस्तान से संबंध और आतंकवाद से निपाटारा की तरह दो बातों को मिला जुला देते हैं फिर तो कन्फ्यूजन होगा ही. आप सूखे की बात अगले इन्टरव्यू में करियेगा..अभी गीले की करिये..
अभी आप यूँ समझें कि हमारे वैज्ञानिक गुप्त कमरे में बन्द सुबह शाम इस हेतु कार्य में लगे हैं कि किस तरह से हम बरसात के कहर से मुक्ति पायें. जल्द ही हम भारत को बरसात मुक्त करा देंगे.
हम आपको बताते हैं कि किसान को बरसात से अपनी डिपेन्डेन्सी हटानी होगी. इस देश को विदेश बनाने के लिए इतना त्याग तो करना ही पड़ेगा. उन्हें अपने खेतों को सींचने के लिए ट्यूब वैल, नदियों और नहरों के पानी पर अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी. उन्हें अपने खेतों में स्प्रिंकलर लगाने होंगे..ताकि खेत को लगे बरसात हो रही है मगर देश में बरसात हो ही नही रही हैं. देश बरसात मुक्त हो गया है. थोड़ा चकमा देना भी तो जरुरी है चाहे खेत हो या आम जनता..फिर देखो खेत कैसे अनाज देता है जैसे आम जनता वोट देती है!!
अब आप ही देखो एक बार ऐसे ही गुप्त कमरे में बन्द होकर हमने नोटबन्दी करके जो पाना चाहा वो भले न हुआ हो मगर जनता को एहसास करा दिया कि काले धन के रुप में छुपे नोटों की बैक खातों में बरसात हो गई है और सब काले नोट निकल आये हैं. परिणाम ये हुआ कि यूपी के चुनाव में वोटों की बरसात हो गई. 
मगर बिना बरसात के ट्यूब वैल, नदी, नहरों में भी पानी कहाँ से आयेगा सर? पत्रकार ने अपनी आशंका जताई.
आयेगा आयेगा..भरोसा रखने से आयेगा..आखिर बिना काले धन की वर्षा हुए भी यूपी में गर्जन से साथ वोट वर्षा हुई ही न..वोट आये ही न!!
पानी की आप चिन्ता न करें..उसके लिए हम बातचीत कर रहे हैं. हमें अपने किसान भाईयों की चिन्ता है. हमें चाहे कितना भी पानी आयात करना पड़े, हम आयात करेंगे और नदियों, नहरों और ट्यूब वैलों को लबालब भर देंगे.
हमारे देश की दाल जब विदेशी हो गई तो आपने देखा ही कि इस साल हमने कितनी दाल विदेशों से आयात की..मगर दाल की कमी न होने दी..भले ही महँगी मगर बाजार में थी तो न! 
इतना कुछ जानने सुनने के बाद में लगा...कि बस एक चूक हो गई...
बरसात के पानी पर कितना जीएसटी हो उसकी बात तो हुई न..फिर आयत वाले पानी पर कितना टैक्स रखा जाये वो कैसे तय होगा..
बस!! इन्तजार है सरकार दौरे से लौटे और इस पर भी जीएसटी में एक बदलाव की बरसात करे..
संशोधनों की बरसात तो खैर नित होनी ही है!!
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित सुबह सवेरे की जुलाई ९, २०१७ के अंक में:
http://epaper.subahsavere.news/c/20393977

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7 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (10-07-2017) को "एक देश एक टैक्स" (चर्चा अंक-2662) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बरसात से निर्भरता हटानी होगी यह वैसा ही जैसे गधे के सिर पर सींग लगाना. गजब का व्यंग लिखा है, बहुत शुभकामनाएं.

रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मुस्कान के साथ मारा गया तमाचा

नीरज गोस्वामी ने कहा…

गजब की पोस्ट समीर भाई... आपका जवाब नहीं...

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

अच्छा व्यंग । बधाई सर ।

कविता रावत ने कहा…

जीएसटी के चक्कर में कहीं सरकार पर ही जीएसटी न लग जाय
बहुत खूब

pritima vats ने कहा…

bahut achcha aalekh hai sir.hamare blog par bhi aapka swagat hai -
https://lokrang-india.blogspot.in/